सोमवार, 24 जून 2013

गांधारी ने क्यों बांधी आंखों पर पट्टी?


गांधारी ने क्यों बांधी आंखों पर पट्टी?

पाण्डु के राज्याभिषेक के बाद भीष्म ने धृतराष्ट्र, पाण्डु व विदुर का विवाह करने का विचार किया। भीष्म ने सुना कि गांधारराज सुबल की पुत्री गांधारी सब लक्षणों से सम्पन्न है और उसने भगवान शंकर की आराधना कर सौ पुत्रों का वरदान भी प्राप्त किया है। तब भीष्म ने गांधारराज के पास धृतराष्ट्र के विवाह के लिए प्रस्ताव भेजा जिसे सुबल ने स्वीकार कर लिया। गांधारी को जब पता चला कि धृतराष्ट्र अंधे हैं तो उसने अपनी आंखों पर भी पट्टी बांध ली और जीवन भर इस प्रकार रहकर अपने पति की सेवा करने का निश्चय किया। इस तरह धृतराष्ट्र का विवाह गांधारी से हो गया। 

यदुवंशी शूरसेन की पृथा नाम की कन्या थी। इस कन्या को शूरसेन ने अपनी बुआ के संतानहीन लड़के कुन्तीभोज को गोद दे दिया था। इस प्रकार पृथा कुंती के नाम से प्रसिद्ध हुई। कुंती जब विवाह योग्य हुई तो कुंतीभोज ने स्वयंवर का आयोजन किया जिसमें कुंती ने पाण्डु को जयमाला पहनाई। इस तरह पाण्डु का विवाह कुंती से हो गया। तब भीष्म ने पाण्डु के एक और विवाह करने का निश्चय किया तथा मद्रराज के राजा शल्य की बहन माद्री से पाण्डु का विवाह किया। पाण्डु कुंती व माद्री के साथ सुखपूर्वक रहने लगे।

इसके बाद भीष्म ने राजा देवक की दासीपुत्री जो गुणों में विदुर के समान ही थी, का विवाह विदुर से करवा दिया।

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