गुरुवार, 22 अगस्त 2013

इसलिए भीष्म को केवल शिखण्डी ही मार सकता था...

शिखण्डी इस तरह स्त्री से पुरुष बन गया। उस यक्ष की बात सुनकर शिखण्डी बहुत प्रसन्न हुआ। शिखण्डी को इस तरह पुरुष बना देख द्रुपद ने धर्नुविद्या सीखने के लिए उसे द्रोणाचार्यजी के पास भेज दिया। फिर शिखण्डी ने ही ग्रहण  धारण, प्रयोग और प्रतीकार - धर्नुविद्या की इन चार विधाओं की शिक्षा प्राप्त की। 

मैंने मुर्ख, बहरे और अंधे दिखने वाले जो गुप्तचर द्रुपद के यहां तैनात कर रखे थे। उन्हीं ने मुझे ये सब बातें बताई। इस प्रकार यह द्रुपद का पुत्र महारथी शिखण्डी पहले स्त्री था और फिर पुरुष हो गया। अगर यह युद्ध के मैदान में मेरे सामने आया तो मैं न तो उसकी तरफ देख पाऊंगा नहीं बाण चला पाऊं गा। अगर भीष्म एक स्त्री की हत्या करेगा तो साधु जन उसकी निंदा करेंगे। भीष्म की यह बात सुनकर कुरुराज दुर्योधन कुछ देर तक विचार करता रहा। फिर उसे भीष्म की बात ही उचित जान पड़ी।

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