गुरुवार, 22 अगस्त 2013

कृष्ण ने आखिरी बार ऐसे की थी महाभारत युद्ध रोकने की कोशिश.....

कृष्ण ने आखिरी बार ऐसे की थी महाभारत युद्ध रोकने की कोशिश.....

यह सुनकर भगवान बोले तुझे इस असमय में यह मोह क्यों हो रहा है? न तो यह श्रेष्ठ पुरुषों द्वारा आचरित है, न स्वर्ग को देने वाला है और न ही यश देने वाला है और न कीर्र्ति को करने वाला ही है। इसलिए अर्जुन नपुंसकता को मत प्राप्त हो, तुझमें यह उचित नहीं जान पड़ती। तेरे दिल की तुच्छ दुर्बलता त्याग कर युद्ध के लिए खड़ा हो जा। अर्जुन बोले- मैं रणभूमि में किस प्रकार भीष्मपितामह  और द्रोणाचार्य के विरुद्ध लड़ूंगा। वे दोनों ही पूजनीय हैं। इसलिए  इनके सामने युद्ध करना मेरे लिए थोड़ा मुश्किल है। श्रीकृष्ण से वे कहने लगे आप उस कुबुद्धि दुर्योधन को समझाते क्यों नहीं? तब श्रीकृष्ण ने दुर्योधन को कई तरह से समझाने का प्रयास किया। श्रीकृष्ण की सारी बातें सुनकर भीष्म ने दुर्योधन से कहा- अपने चाहने वाले श्रीकृष्ण ने जो तुम्हे समझाया है। वह धर्म और अर्थ के अनुकूल है।  तुम उसे स्वीकार कर लो, व्यर्थ ही प्रजा का संहार मत कराओ। अगर तुम ऐसा नहीं करोगे तो तुम्हे अपने सभी प्रियजनों से हाथ धोना पड़ेगा। इसके बाद द्रोणचार्य ने कहा- राजन श्रीकृष्ण और भीष्मजी बड़े बुद्धिमान, मेधावी, जितेन्द्रिय, अर्थनिष्ट है। उन्होंने तुम्हारे हित की बात कही है, तुम उसे मान लो और मोहवश श्रीकृष्ण का तिरस्कार मत करो। तुम प्रजा और पुत्र तथा बन्धु-बांधवों के प्राणों को संकट में मत डालो। यह बात निश्चय मानो कि जिस पक्ष में श्रीकृष्ण और अर्जुन होंगे, उसे कोई जीत नहीं सकेगा। अगर तुम अपने हितैषियों की बात नहीं मानोगे तो आगे तुम्हे पछतावा ही होगा।

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