बुधवार, 14 अगस्त 2013

जानिए, कैसे हुआ कर्ण का वध?


जानिए, कैसे हुआ कर्ण का वध?

श्रीकृष्ण के समझाने पर अर्जुन को अपनी गलती का एहसास हुआ और उन्होंने कर्ण से युद्ध का प्रण लिया।अर्जुन ने श्रीकृष्ण से कहा भगवान में सूतपुत्र का वध करने के लिए महान भयंकर अस्त्र प्रकट कर रहा हूं। इसके लिए मुझे सभी देवताओं की आज्ञा चाहिए। भगवान से ऐसा कहकर अर्जुन ने सबसे पहले ब्रह्माजी से आशीर्वाद लिया और ब्रह्मास्त्र प्राप्तकिया। लेकिन कर्ण ने बाणों की बौछार से उस अस्त्र को खत्म कर दिया। 

यह देखकर भीमसेनक्रोध से तमतमा उठे,  भीमसेन ने अर्जुन से कहा सब लोग चाहते हैं तुम उत्तम ब्रह्मास्त्र का उपयोग करो। तब अर्जुन ने कर्ण पर जलते हुए सैकड़ों बाणों की वर्षा कर दी। अर्जुन ने कर्ण को बाणों से बींध डाला।

सारी कौरव सेना यह देखकर इधर-उधर भागने लगी। जब कर्ण ने चारों और नजर डाली तो उसे सब सूना दिखाई पड़ा। लेकिन उसके उत्साह में जरा भी कमी नहीं आई उसने अर्जुन पर धावा बोल दिया। कर्ण ने श्रीकृष्ण को बारह और अर्जुन को नब्बे बाणों को घायल कर दिया। फिर एक भयंकर बाण से अर्जुन को बींध दिया और जोर से गर्जना करने लगा।कर्ण ने हंसकर अपनी प्रसन्नता प्रकट की , वह अर्जुन से नहीं सही गई। उन्होंने सैकड़ों बाण मारकर कर्ण के शरीर को बींध डाला।फिर अर्जुन ने छाती और यमदण्ड पर नौ बाण मारे। 

कर्ण धनुष उठाकर वेग से बड़ा श्रीकृष्ण ने अर्जुन से कहा अर्जुन इस कर्ण का सिर तुम रथ पर चढ़ने से पहले ही काट दो। अर्जुन ने भगवान की आज्ञा को स्वीकार किया और कर्ण के रथ की ध्वजा को गिरा दिया। जिससे कौरवों की सारी कामना का पतन हो गया। अर्जुन ने कर्ण का सिर काट डाला। अर्जुन ने कर्ण को मार डाला है यह देखकर पांडव पक्ष के लोग शंखनाद करने लगे। 

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