महाभारत में सिर्फ यही एक व्यक्ति था जो भीष्म को मार सकता था
भीष्म की सारी बातें सुनकर सभी पांडवों अपने शिविर में लौट आए। वहां आकर उन्होंने श्रीकृष्ण से कहा- केशव मुझे यह लगता है कि भीष्म की मृत्यु का कारण शिखण्डी ही होगा। मैं दूसरे धर्नुधार्रियों को बाणों से मारकर रोक रखूंगा।
भीष्म की सहायता के लिए किसी को न आने दूंगा और शिखण्डी उनसे युद्ध करेगा। उसके बाद दसवे दिन के युद्ध में शिखण्डी को आगे करके पांडव युद्ध के लिए निकले। सेना का व्यूह निर्माण करके शिखण्डी सबसे आगे खड़ा हुआ। उसके पिछले भाग की रक्षा के लिए द्रोपदी के पुत्र और अभिमन्यु खड़े हुए। उसके बाद युद्ध आरंभ हुआ। शिखण्डी ने भीष्मजी को बाण मारा। भीष्मजी ने उसके स्त्रीत्व का विचार करे उस पर वार नहीं किया। तब उसे अर्जुन ने कहा पितामह को क ेवल तुम्ही मार सकते हो। उनका वध तुम्हारे ही हाथ होना है। शिखण्डी यह बात समझ नहीं सका। शिखण्डी ने भीष्मजी के सामने आकर उनके छाती में दस बाण मारे। इस तरह उसने तीर मार मारकर पितामह को बींध दिया।
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