गुरुवार, 22 अगस्त 2013

जानिए, कृष्ण की किस बात ने किया अर्जुन को युद्ध के लिए तैयार?

जानिए, कृष्ण की किस बात ने किया अर्जुन को युद्ध के लिए तैयार?

यदि आपको कर्मों की अपेक्षा ज्ञान श्रेष्ठ मान्य है तो फिर केशव! मुझे भयंकर कर्म में क्यों लगाते हैं? आप मिले हुए से वचनों से मानो मेरी बुद्धि को मोहित कर रहे हैं। इसलिए उस एक बात को निश्चित करके कहिए। 

जिससे मेरा कल्याण हो जाए। श्रीकृष्ण बोले- मनुष्य किसी भी काल में क्षणमात्र भी बिना कर्म किए नहीं रहता क्योंकि सारा मनुष्यसमुदाय प्रकृतिजनित गुणों द्वारा परवश हुआ कर्म करने के लिए बाध्य किया जाता है। जो मूर्ख मनुष्य समस्त इंद्रियों को हठपूर्वक ऊपर से रोककर मन से उन इंद्रियों के विषयों का चिंतन करता रहता है, वह मिथ्याचारी कहा जाता है। जो पुरुष मन से इंद्रियों को वश में करके अनासक्त हुआ। दसों इंद्रियों द्वारा कर्मयोग का आचरण करता है वही श्रेष्ठ है। कर्म न करने की अपेक्षा कर्म करना श्रेष्ठ है। कर्म न करने से तेरा शरीर निर्वाह भी नहीं सिद्ध होगा। यज्ञ के निमित्त किए जाने वाले कर्मों से अतिरिक्त दूसरे कर्मों में लगा हुआ ही यह मनुष्य समुदाय कर्मों से बंधता  है। इसलिए तू आसक्ति से रहित होकर उस यज्ञ के निमित्त ही अपना भलीभांति कर्तव्य कर्म कर। अर्जुन ये युद्ध ही तेरा कर्म है और तू निश्चिंत होकर इसे कर।

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